सूनी आंखो से झांकता दर्द / मकान मालिक ने घर खाली कराया, गांव आने के लिए नहीं मिलीं बसें और ट्रेन, मजबूरी में भूखे प्यासे पैदल चलकर पहुंचे

लॉकडाउन औऱ् अव्यवस्था के बीच पीस रहा समाज का अहम मजदूर वर्ग की पीड़ा सुनकर मन बैठ सा जाता है। ऐसी कई मामले सामने आए हैं, जब लोग अपने घरों की तरफ लौटने लगे हैं। मानवीय संवेदना लाचार होने के बाद अपने घर लौटना चाहती है। दो जून की रोटी का इंतजाम करने लोगों को लॉकडाउन के बाद घर लौटने पर ही मजबूर होना पड़ा। जिसको जो मिला उससे लौटा। इस बीच कई ऐसे भी लोग तो कई किलोमीटर का सफर करके अपने गांव लौट रहे हैं। दैनिक भास्कर ऐसे ही दर्द की तीन कहानियां आपको बता रहा है। अन्य राज्यों से मध्यप्रदेश स्थित अपने गांव लौटे लोगों का कहना है कि घर तो पहुंच गए, लेकिन गांव कैसे पहुंचे यह सबसे बड़ी चिंता है। 


गुड़गांव से पैदल अपने घर चौम्हो आए पूरन सिंह का दर्द उन्हीं की जुबानी...


भिंड जिले के चौम्हो के रहने वाले पूरन सिंह भदौरिया। उम्र 45 साल। सालों से गुड़गांव (हरियाणा) में स्थित हल्दीराम की फैक्टरी में नौकरी कर रहे हैं। लेकिन अचानक कोरोना को लेकर देश में हुए लॉक डाउन में उनकी फैक्टरी भी बंद हो गई। इधर गुड़गांव में जिस मकान में परिवार के साथ वे किराए पर रहते थे उसने भी कमरा खाली करवा लिया, गांव आने के लिए कोई बस, ट्रेन नहीं चल रही थी। 


 मजबूरन 26 अप्रैल, गुरुवार की शाम वे अपनी पत्नी सोना (40) दो बेटियां रीना (14),  पूजा (9) के साथ पैदल ही अपने गृहगांव के लिए निकल पड़े। 48 घंटे में उन्होंने करीब 319 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय किया। इस दौरान पैरों में छाले पड़ गए, लेकिन मंजिल तक पहुंचने के लिए कदम बढ़ाते रहे। इस दौरान बेटियों को बुखार भी आ गया, पर उनके लिए दवा तो दूर कुछ खाने के लिए भी नहीं था। जैसे-तैसे 28 अप्रैल, शनिवार की शाम वे वाह जैतपुर हाईवे स्थित जाजऊ गांव पहुंचे। जहां एक रिश्तेदार के यहां पहुंचे। उन्होंने भर पेट खाना खिलाया तो नींद आ गई। रात वहीं गुजारी और रविवार का सूरज उगते ही फिर अपने गांव की ओर चल पड़े। उनका ये सफर अभी जारी है। यह कहानी अकेले पूरन सिंह की नहीं बल्कि ऐसे कई लोगों की है जो अपने घर तक पहुंचने के लिए रास्तों में संघर्ष कर रहे हैं। 


3 दिन पहले घर से निकले पैदल, चिलोड़ा से 2 हजार रुपए प्रति सवारी देकर आए भिंड


अटेर क्षेत्र के बजरिया कनैरा के रहने वाले अजीत श्रीवास अहमदाबाद (गुजरात) में रंगाई पुताई का कार्य करते हैं। उनकी पत्नी आरती, ढाई की बेटी गुड्डी और भाई धर्मेंद्र भी उनके साथ रहता है। कोरोना संक्रमण को लेकर देश में अचानक हुए लॉक डाउन के बाद भी 27 अप्रैल की शाम को वे परिवार के साथ अहमदाबाद से पैदल ही निकल पड़े। करीब 50 किलोमीटर का सफर 8 घंटे में तय कर चिलोड़ा पहुंचे। यहां तक आने में उनके पैर सूज चुके थे। आगे कदम नहीं बढ़ रहे थे। तभी उन्हें एक चार पहिया वाहन मिला। 2 हजार रुपए प्रति सवारी भिंड तक छोड़ने का सौदा तय हुआ। आज रविवार की सुबह वे भिंड बस स्टैंड पहुंचे। लेकिन संकट यहीं खत्म नहीं हुआ था। अब यहां गांव पहुंचने के लिए कोई साधन नहीं था। ऐसे में सुबह से यह परिवार भूखा प्यासा जिला अस्पताल के सामने बैठा हुआ था। उनकी बच्ची मां के खाली थैले में खाने को तलाश रही थी।


25 किमी पैदल चले, किसी तरह भिंड पहुंचे, गांव का 80 किमी का रास्ता अब पहाड़ जैसा


लहार के दबोह निवासी कंचन सिंह दिल्ली में गोल गप्पे का ठेला लगाते हैं। 22 अप्रैल को जनता कर्फ्यू के साथ देशभर में लॉकडाउन के बाद उनका रोजगार ठप हो गया। उनके साथ के लोग भी अपने अपने गांव भागने लगे। ऐसे में वे भी पत्नी और बच्चों के साथ 28 अप्रैल, शनिवार को दिल्ली से अपने गृहगांव के लिए निकल पड़े। करीब 25 किलोमीटर का सफर पैदल तय किया। दिल्ली से बाहर आने के बाद एक बस उन्हें मिली, जिससे वे किसी तरह से रविवार की दोपहर तक भिंड पहुंच गए। लेकिन जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित उनके गांव तक पहुंचने का संकट अभी भी उनके सामने खड़ा है। ऐसे में वे किसी वाहन के इंतजार में बस स्टैंड पर बैठे हुए हैं। कुछ सामाजिक संगठनों ने उन्हें खाने के लिए फल दिए, जिससे पेट भर लिया। लेकिन घर पहुंचने की चिंता अभी उनको सता रही है।


दुकान खोलने और बेवजह तफरी करने वालों को पकड़ा
लॉक डाउन के दौरान घर के बाहर तफरी और गप मारने वालों के खिलाफ पुलिस ने अब सख्त हो गई है। रविवार को पिछले 24 घंटे में पुलिस ने विभिन्न थानों में 50 लोगों के विरुद्ध 28 केस दर्ज कर उन्हें हवालात पहुंचाया है। ताकि लोग लॉक डाउन के दौरान घर के बाहर नहीं निकले। इनमें से कुछ लोग घर के बाहर बैठकर हार जीत का दांव भी लगा रहे थे। वे भी इस कार्रवाई के दौरान पुलिस के हत्थे चढ़ गए। चिंता की बात यह है कि लॉक डाउन में कुछ दुकानदार अपनी दुकानें खोल रहे हैं, अब पुिलस ने सख्ती शुरू कर दी है।


अब डॉक्टर टेलीफोन पर भी करेंगे इलाज


जिले में कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही जंग में इंडियन मेडीकल एसोसिएशन के आव्हान पर रिटायर्ड और प्रायवेट डॉक्टर भी मरीजों की मदद के लिए आगे आए हैं। वे टेलीफोन पर मरीजों का उपचार करेंगे। सुबह 10 बजे से 12 बजे और शाम छह बजे से आठ बजे तक इनको फोन लगाया जा सकता है।



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